अपसेटिंग प्रक्रिया - संक्षिप्त विवरण

अपसेट फोर्जन या अपसेटिंग 'मुक्त प्ररूपण' के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसके द्वारा बिलेट या कार्यभाग के एक हिस्से की ऊँचाई आमतौर पर समतल समान्तर प्लेटों के बीच कम हो जाती है। अपसेटिंग एक आधारभूत विरूपण प्रक्रिया है जो कि मायनों में बदलती रहती है। धातुओं की अपसेटिंग एक विरूपण प्रक्रिया है, जिसमें बिलेट (आमतौर पर गोल) को किसी डाई या हथौड़े के बीच में संकुचित किया जाता हैं। यह क्रिया एक भाग की ऊँचाई कम कर देती है, जबकि इसके व्यास में वृद्धि हो जाती है। यह प्रक्रिया ज्यादातर बहुचरणीय फोर्जन क्रियाओं में मध्यवर्ती चरण के रूप में की जाती है। बिलेट सम्भवतः अतप्त, ऊष्मित या तप्त हो सकती है। उद्योगों का एक बड़ा वर्ग सरल बोल्ट, पेंच, नट, रिविट और फ्लेंज शाफ्ट से लेकर रिन्च साॅकेट (जिनके निर्माण में समकालिक अपसेटिंग व वेधन क्रिया आवश्यक होती है) आदि के निर्माण के लिए अपसेटिंग प्रक्रिया पर निर्भर करता है। तप्त अपसेटिंग का कभी-कभी हथौड़ा या दाबक फोर्जन क्रियाओं के साथ परिष्करण क्रिया के रूप में भी प्रयोग किया जाता है (जैसे - क्रैंकशाफ्ट बनाने में) अपसेटिंग प्रक्रिया का एक चित्र नीचे आकृति में दिखाया गया है -


चित्र - अपसेटिंग प्रक्रिया

अपसेटिंग में दृढ़ औजार पदार्थ के ब्लाॅक (बिलेट) पर दबाया जाता है। पदार्थ सीधे हाथ की और स्थानान्तरित होने के लिए स्वतंत्र होता है। सफल अपसेटिंग मुख्य रूप से दो प्रक्रिया सीमाओं पर निर्भर करती है।
1. अपसेट विकृति जो कि कार्यभाग पदार्थ की प्ररूपण सीमा या फोर्जन योग्यता को प्रभावित करता है।
2. अपसेट अनुपात जो कि कार्यभाग के विस्तार को प्रभावित करता है।


© अजय कान्त उपाघ्याय