मेटल फोर्मिंग (धातु प्ररूपण)

धातु प्ररूपण शब्द संदर्भित करता है निर्माण विधियों के उस समूह को जिनकें द्वारा दिये गये पदार्थ जो कि आमतौर पर निराकार या एक सरल ज्यामिति होता है को भार या पदार्थ के अवयवी घटकों में बदलाव किये बिना उपयोगी भागों में परिवर्तित हो जाता है। यह भाग आमतौर पर अच्छी तरह से परिभाषित (क) आकृति (ख) आकार (ग) यर्थाथता और सटीकता (घ) दिखावट और (ङ) गुण के साथ जटिल ज्यामिति होते हैं। धातु प्ररूपण प्रक्रियाओं में जैसे अतप्त और तप्त फोर्जन, बर्हिवेधन, बेलन, बंकन और प्रगढ़ कर्षण आदि में धातु सुघट्य विरूपण द्वारा प्ररूपित की जाती है। प्ररूपण के लिए वांछनीय पदार्थ गुणों में निम्न पराभव सामथ्र्य और उच्च तन्यता शामिल है। ये गुण तापमान और विरूपण की दर (विकृति दर) से प्रभावित होते है। जब कार्यकारी पदार्थ का तापमान बढ़ाया जाता है तब तन्यता बढ़ती है और पराभव सामथ्र्य घटता है। तापमान का प्रभाव अतप्त प्ररूपण (जबकि बिलेट प्रारंभिक रूप से कमरे के तापमान पर होता है) तथा ऊष्मित प्ररूपण (जबकि बिलेट प्रारंभिक रूप से कमरे के तापमान से ऊपर परन्तु उसके पुनःक्रिस्टलीकरण तापमान से नीचे गर्म होता है) तथा तप्त प्ररूपण (जबकि बिलेट पुनःक्रिस्टलीकरण तापमान से ऊपर गर्म होता है) में भेद को जन्म देता है। उदाहरण के लिए आमतौर पर पराभव प्रतिबल, विरूपण के साथ बढ़ता जाता है (जोकि अतप्त फोर्जन के दौरान विकृति में होता है) तथापि आमतौर पर तप्त प्ररूपण में पराभव प्रतिबल, विरूपण विकृति दर के साथ बढ़ता जाता है। प्ररूपण प्रक्रियाएँ उन स्थितियों में आकर्षक होती है जिनमें

      * भागों की ज्यामिती मध्यम जटिलता की हो और उत्पादन का परिमाण अधिक हो। जिससे कि प्रति इकाई उत्पादक की उत्पादन लागत कम रखी जा सकती है (उदाहरण के लिए मोटर वाहन आॅटोमोटिव अनुप्रयोगों में)

      * भागों के गुण तथा धातुकर्म अखंण्डता अत्यन्त महत्वपूर्ण हो (उदाहरण के लिए मालवाहक विमान, जेट इंजन और टरबाईन के कलपुर्जे आदि)

प्ररूपण प्रक्रियाओं की रचना विश्लेषण और अनुकूलन के लिए आवश्यकता है - धातु प्रवाह, प्रतिबल और ऊष्मा हस्तान्तरण से संबंधित अभियांत्रिकी ज्ञान की।


© अजय कान्त उपाघ्याय